Heart Broken Poetry of Aziz Qaisi

Heart Broken Poetry of Aziz Qaisi
नामअज़ीज़ क़ैसी
अंग्रेज़ी नामAziz Qaisi
जन्म की तारीख1913
मौत की तिथि1992

रसूल-ए-काज़िब

रफ़्तगाँ

मैं!

मैं वफ़ा का सौदागर

कावाक

ग़रीब शहर

फ़स्ल-ए-राएगाँ

एक मंज़र एक आलम

दाद-गर

कंफ़ेशन

चोर-बाज़ार

बाक़ीस्त शब-ए-फ़ित्ना

ब-नाम-ए-इब्न-ए-आदम

बैन-उल-अदमैन

अज़ल-अबद

अल्फ़-ए-लैला की आख़िरी सुब्ह

अहद-नामा-ए-इमराेज़

आख़िरी दिन से पहले

वालिहाना मिरे दिल में मिरी जाँ में आ जा

उलझाओ का मज़ा भी तिरी बात ही में था

तमीज़ अपने में ग़ैर में क्या तुम्हें जो अपना न कर सके हम

पस-ए-तर्क-ए-इश्क़ भी उम्र-भर तरफ़-ए-मिज़ा पे तरी रही

मिटा के अंजुमन-ए-आरज़ू सदा दी है

जितने थे रंग हुस्न-ए-बयाँ के बिगड़ गए

हर आँख लहू सागर है मियाँ हर दिल पत्थर सन्नाटा है

दिल-ख़स्तगाँ में दर्द का आज़र कोई तो आए

आह-ए-बे-असर निकली नाला ना-रसा निकला

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