Sharab Poetry of Baqaullah 'Baqa'
नाम | बक़ा उल्लाह 'बक़ा' |
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अंग्रेज़ी नाम | Baqaullah 'Baqa' |
कविताएं
Ghazal 34
Couplets 25
Love 25
Sad 20
Heart Broken 21
Bewafa 1
Hope 12
Friendship 10
Islamic 5
देशभक्तिपूर्ण 1
बारिश 1
ख्वाब 1
Sharab 13
रुश्द-ए-बातिन की तलब है तो कर ऐ शैख़ वो काम
कल के दिन जो गिर्द मय-ख़ाने के फिरते थे ख़राब
छोड़ कर कूचा-ए-मय-ख़ाना तरफ़ मस्जिद के
सीखा जो क़लम से न-ए-ख़ाली का बजाना
रखता है यूँ वो ज़ुल्फ़-ए-सियह-फ़ाम दोश पर
नर्गिस-ए-मस्त तिरी जाए जो तुल बरसर-ए-गुल
मुझे तो इश्क़ में अब ऐश-ओ-ग़म बराबर है
मेरी गो आह से जंगल न जले ख़ुश्क तो हो
कल मय-कदे की जानिब आहंग-ए-मोहतसिब है
जो जहाँ के आइना हैं दिल उन्हों के सादा हैं
इस लब से रस न चूसे क़दह और क़दह से हम
छुप के नज़रों से इन आँखों की फ़रामोश की राह
चश्म-ए-तर जाम दिल-ए-बादा-कशाँ है शीशा