Hope Poetry of Baqaullah 'Baqa'

Hope Poetry of Baqaullah 'Baqa'
नामबक़ा उल्लाह 'बक़ा'
अंग्रेज़ी नामBaqaullah 'Baqa'

ख़्वाहिश-ए-सूद थी सौदे में मोहब्बत के वले

देखा तो एक शो'ले से ऐ शैख़-ओ-बरहमन

यकसाँ लगें हैं उन को तो दैर-ओ-हरम बहम

सीखा जो क़लम से न-ए-ख़ाली का बजाना

सैर में तेरी है बुलबुल बोस्ताँ बे-कार है

नर्गिस-ए-मस्त तिरी जाए जो तुल बरसर-ए-गुल

ख़ाल-ए-लब आफ़त-ए-जाँ था मुझे मालूम न था

ख़ाल-ए-लब आफ़त-ए-जाँ था मुझे मालूम न था

इश्क़ में बू है किबरियाई की

इस लब से रस न चूसे क़दह और क़दह से हम

हाँ मियाँ सच है तुम्हारी तो बला ही जाने

छुप के नज़रों से इन आँखों की फ़रामोश की राह

बक़ा उल्लाह 'बक़ा' Hope Poetry in Hindi - Read famous Hope Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by बक़ा उल्लाह 'बक़ा'. Largest collection of Hope Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by बक़ा उल्लाह 'बक़ा'. Share the बक़ा उल्लाह 'बक़ा' Hope Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.