मेरी गो आह से जंगल न जले ख़ुश्क तो हो

मेरी गो आह से जंगल न जले ख़ुश्क तो हो

अश्क की तुफ़्त से गो जल न जले ख़ुश्क तो हो

पाक करते हुए गर अश्क मिरे दामन का

नाला-ए-गर्म से आँचल न जले ख़ुश्क तो हो

नमी-ए-अश्क के बाइस जो मिरी आह से रात

ज़ेर-ए-रुख़ तकिया-ए-मख़मल न जले ख़ुश्क तो हो

मेहर-वश हुस्न की गर्मी से तिरे वक़्त-ए-अरक़

तन पे गर नीमा-ए-मलमल न जले ख़ुश्क तो हो

साक़िया मौसम-ए-गुल बे-मय-ओ-मीना जो मिरी

आह की बर्क़ से बादल न जले ख़ुश्क तो हो

शोला-रू नित की सवारी में सबब गर्मी के

ज़ेर-ए-राँ गो तिरे कोतल न जले ख़ुश्क तो हो

हो अगर ये दिल-ए-सोज़ाँ तिरे क़ुलियाँ की चिलम

आब-ए-नय से जो ये नर्सल न जले ख़ुश्क तो हो

हाए ऐ आतिश-ए-दिल आब से गर्मी से जला

चश्म-ए-तर की मिरी छागल न जले ख़ुश्क तो हो

तिफ़्ल बद-ख़ू है मिरा अश्क, ख़ुदाया इस की

गो ब-ख़िर्मन हुई कोंपल न जले ख़ुश्क तो हो

ग़र्क़ है अश्क में घर तुझ से अब ऐ नाला-ए-गर्म

गो मिरे सुख का ये मंडल न जले ख़ुश्क तो हो

अश्क से ख़ामा रहे जो मिरे बस में न 'बक़ा'

गो तब-ए-तन से ये बब्बल न जले ख़ुश्क तो हो

(829) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Meri Go Aah Se Jangal Na Jale KHushk To Ho In Hindi By Famous Poet Baqaullah 'Baqa'. Meri Go Aah Se Jangal Na Jale KHushk To Ho is written by Baqaullah 'Baqa'. Complete Poem Meri Go Aah Se Jangal Na Jale KHushk To Ho in Hindi by Baqaullah 'Baqa'. Download free Meri Go Aah Se Jangal Na Jale KHushk To Ho Poem for Youth in PDF. Meri Go Aah Se Jangal Na Jale KHushk To Ho is a Poem on Inspiration for young students. Share Meri Go Aah Se Jangal Na Jale KHushk To Ho with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.