क्यूँ मिरा हाल क़िस्सा-ख़्वाँ से सुनो
क्यूँ मिरा हाल क़िस्सा-ख़्वाँ से सुनो
ये कहानी मिरी ज़बाँ से सुनो
ग़म ही ग़म है मिरे फ़साने में
दुख ही दुख है उसे जहाँ से सुनो
मुझ से पूछो तुम अपने जी का हाल
राज़ की बात राज़-दाँ से सुनो
ग़म मिरे दिल में तुम हो पर्दे में
सच तो है तुम उसे कहाँ से सुनो
छुप गया है फ़साना-ए-'बेख़ुद'
कभी तुम भी तो क़िस्सा-ख़्वाँ से सुनो
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