अपनी तो कोई बात बनाए नहीं बनी
कुछ हम न कह सके तो कुछ उस ने नहीं सुनी
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जीना है ख़ूब औरों की ख़ातिर जिया करो
हर-दिल-अज़ीज़ वो भी है हम भी हैं ख़ुश-मिज़ाज
कोई आहट कोई सरगोशी सदा कुछ भी नहीं
मिरी हथेली में लिक्खा हुआ दिखाई दे
नहीं है ख़्वाब दीवाने का हस्ती
जाने क्या कुछ है आज होने को
एक आलम है ये हैरानी का जीना कैसा
यूँ चुप रहा करे से तो हो जाए है जुनूँ
ख़ुद पे ये ज़ुल्म गवारा नहीं होगा हम से
नज़र आता है वो जैसा नहीं है
कब एक रंग में दुनिया का हाल ठहरा है
अनहोनी कुछ ज़रूर हुई दिल के साथ आज