Khawab Poetry of Dagh Dehlvi

Khawab Poetry of Dagh Dehlvi
नामदाग़ देहलवी
अंग्रेज़ी नामDagh Dehlvi
जन्म की तारीख1831
मौत की तिथि1905
जन्म स्थानDelhi

बहुत रोया हूँ मैं जब से ये मैं ने ख़्वाब देखा है

ये बात बात में क्या नाज़ुकी निकलती है

उज़्र उन की ज़बान से निकला

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था

शब-ए-वस्ल ज़िद में बसर हो गई

पयामी कामयाब आए न आए

मुझ सा न दे ज़माने को परवरदिगार दिल

खुलता नहीं है राज़ हमारे बयान से

काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है

इन आँखों ने क्या क्या तमाशा न देखा

होश आते ही हसीनों को क़यामत आई

ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया

भवें तनती हैं ख़ंजर हाथ में है तन के बैठे हैं

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