मैं भी हैरान हूँ ऐ 'दाग़' कि ये बात है क्या
वादा वो करते हैं आता है तबस्सुम मुझ को
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हुआ जब सामना उस ख़ूब-रू से
मिरी आह का तुम असर देख लेना
रूह किस मस्त की प्यासी गई मय-ख़ाने से
ग़ैर को मुँह लगा के देख लिया
हज़ार बार जो माँगा करो तो क्या हासिल
सितम-ईजाद के अंदाज़-ए-सितम तो देखो
बे-ज़बानी ज़बाँ न हो जाए
जब वो बुत हम-कलाम होता है
ये सैर है कि दुपट्टा उड़ा रही है हवा
फिरे राह से वो यहाँ आते आते
न रोना है तरीक़े का न हँसना है सलीक़े का
ना-रवा कहिए ना-सज़ा कहिए