वक़्त को बस गुज़ार लेना ही
दोस्तो कोई ज़िंदगानी है
Anwar Masood
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1191) Peoples Rate This
सोचने की ये बात है 'राही'
इस दौर-ए-तरक़्क़ी के अंदाज़ निराले हैं
अगर मौजें डुबो देतीं तो कुछ तस्कीन हो जाती
वक़्त बर्बाद करने वालों को
इस से पहले कि लोग पहचानें
वक़ार-ए-ख़ून-ए-शहीदान-ए-कर्बला की क़सम
ऐन-फ़ितरत है कि जिस शाख़ पे फल आएँगे
सवाल ये है कि इस पुर-फ़रेब दुनिया में
ज़रा भी शोर मौजों का नहीं है
बहुत आसान है दो घूँट पी लेना तो ऐ 'राही'
अबस इल्ज़ाम मत दो मुश्किलात-ए-राह को 'राही'
बात हक़ है तो फिर क़ुबूल करो