वक़्त बर्बाद करने वालों को
वक़्त बर्बाद कर के छोड़ेगा
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सोचने की ये बात है 'राही'
ऐन-फ़ितरत है कि जिस शाख़ पे फल आएँगे
अगर ऐ नाख़ुदा तूफ़ान से लड़ने का दम-ख़म है
इस दौर-ए-तरक़्क़ी के अंदाज़ निराले हैं
वक़ार-ए-ख़ून-ए-शहीदान-ए-कर्बला की क़सम
बहुत आसान है दो घूँट पी लेना तो ऐ 'राही'
हज़ारों बार कह कर बेवफ़ा को बा-वफ़ा मैं ने
इस शहर-ए-निगाराँ की कुछ बात निराली है
अबस इल्ज़ाम मत दो मुश्किलात-ए-राह को 'राही'
इस से पहले कि लोग पहचानें
वक़्त को बस गुज़ार लेना ही