Ghazals of Ehsan Danish

Ghazals of Ehsan Danish
नामएहसान दानिश
अंग्रेज़ी नामEhsan Danish
जन्म की तारीख1915
मौत की तिथि1982
जन्म स्थानPakistan

यूँ उस पे मिरी अर्ज़-ए-तमन्ना का असर था

यूँ न मिल मुझ से ख़फ़ा हो जैसे

वफ़ाएँ कर के जफ़ाओं का ग़म उठाए जा

वफ़ा का अहद था दिल को सँभालने के लिए

तौबा की नाज़िशों पे सितम ढा के पी गया

सोज़-ए-जुनूँ को दिल की ग़िज़ा कर दिया गया

रंग-ए-तहज़ीब-ओ-तमद्दुन के शनासा हम भी हैं

रानाई-ए-कौनैन से बे-ज़ार हमीं थे

रहे जो ज़िंदगी में ज़िंदगी का आसरा हो कर

परस्तिश-ए-ग़म का शुक्रिया क्या तुझे आगही नहीं

नज़र फ़रेब-ए-क़ज़ा खा गई तो क्या होगा

न सियो होंट न ख़्वाबों में सदा दो हम को

मिरे मिटाने की तदबीर थी हिजाब न था

मौसम से रंग-ओ-बू हैं ख़फ़ा देखते चलो

कुछ लोग जो सवार हैं काग़ज़ की नाव पर

कल रात कुछ अजीब समाँ ग़म-कदे में था

कभी कभी जो वो ग़ुर्बत-कदे में आए हैं

जो ले के उन की तमन्ना के ख़्वाब निकलेगा

जीने के लिए जो मर रहे हैं

जबीं की धूल जिगर की जलन छुपाएगा

जब रुख़-ए-हुस्न से नक़ाब उठा

जब भी ख़ल्वत में वो याद आएगा

इश्क़ को तक़लीद से आज़ाद कर

इश्क़ की दुनिया में इक हंगामा बरपा कर दिया

हंगामा-ए-ख़ुदी से तू बे-नियाज़ हो जा

दिल की रग़बत है जब आप ही की तरफ़

बना देंगी दुनिया को इक दिन शराबी

बख़्श दी हाल-ए-ज़बूँ ने जल्वा-सामानी मुझे

अपनी रुस्वाई का एहसास तो अब कुछ भी नहीं

अब कहो कारवाँ किधर को चले

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