तुझ बदन पर जो लाल सारी है
अक़्ल उस ने मिरी बिसारी है
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हर आश्ना से उस बिन बेगाना हो रहा हूँ
गुल तिरे मुख की फ़िक्र में बीमार
तेरे मिलाप बिन नहीं 'फ़ाएज़' के दिल को चैन
यार मेरा मियान-ए-गुलशन है
ख़ूबाँ के बीच जानाँ मुम्ताज़ है सरापा
सजन मुझ पर बहुत ना-मेहरबाँ है
अबरू ने तिरे खींची कमाँ जौर-ओ-जफ़ा पर
हुस्न बे-साख़्ता भाता है मुझे
मुझ पास कभी वो क़द-ए-शमशाद न आया
जान-ए-अय्याम-ए-दिलबरी है याद
तुझ बिना दिल को बे-क़रारी है