Sad Poetry of Fariha Naqvi

Sad Poetry of Fariha Naqvi
नामफरीहा नक़वी
अंग्रेज़ी नामFariha Naqvi

मिरे हिज्र के फ़ैसले से डरो तुम

भली क्यूँ लगे हम को ख़ुशियों की दस्तक

हमारे कमरे में पत्तियों की महक ने

एक पुराना ख़्वाब

उसे भूलने का सितम कर रहे हैं

तुम्हें पाने की हैसिय्यत नहीं है

शनासाई का सिलसिला देखती हूँ

लाख दिल ने पुकारना चाहा

क्यूँ दिया था? बता! मेरी वीरानियों में सहारा मुझे

हम तोहफ़े में घड़ियाँ तो दे देते हैं

बीते ख़्वाब की आदी आँखें कौन उन्हें समझाए

ऐ मिरी ज़ात के सुकूँ आ जा

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