ऐ सुबुक सादा निशाँ, पानी की लहर
ऐ गुल-ए-इमकाँ ख़बर मौज-ए-हवा
मैं ज़ियाँ एहसास क़तरा क़तरा रात
तू सफ़र, साकित समुंदर, दायरा
ताइर-ए-लाहूत का नग़्मा अदम
इक सलीब-ए-शाख़ पे आँखें सज़ा
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Gulzar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(610) Peoples Rate This
दीवार
तआ'क़ुब
ये गर्द-ए-राह ये माहौल ये धुआँ जैसे
सलीब-ए-मौजा-ए-आब-ओ-हवा पे लिक्खा हूँ
अपनी आँखों के हिसारों से निकल कर देखना
अंधा सफ़र
नक़्श आख़िर आप अपना हादिसा हो जाएगा
नजात
मगर इन आँखों में किस सुब्ह के हवाले थे
अपनी आग में
सब्ज़ आग़ाज़ से सुर्ख़ अंजाम तक
मौसम