मिरे जज़्बे मिरी शहादत हैं
बहते आँसू शहीद करती हूँ
Rahat Indori
Gulzar
Habib Jalib
Wasi Shah
Anwar Masood
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(723) Peoples Rate This
होश ओ ख़िरद गँवा के तिरे इंतिज़ार में
बीते लम्हे कशीद करती हूँ
तन्हा छोड़ के जाने वाले इक दिन पछताओगे
हर शख़्स को फ़रेब-ए-नज़र ने किया शिकार
दयार-ए-फ़िक्र-ओ-हुनर को निखारने वाला
तुम तो ख़ुद सहरा की सूरत बिखरे बिखरे लगते हो
अभी तलक है सदा पानियों पे ठहरी हुई