कह दिया तू ने जो मा'सूम तो हम हैं मा'सूम
कह दिया तू ने गुनहगार गुनहगार हैं हम
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Gulzar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(802) Peoples Rate This
मय-कदे में आज इक दुनिया को इज़्न-ए-आम था
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
ज़िंदगी दर्द की कहानी है
सहरा में ज़माँ मकाँ के खो जाती हैं
तिरी निगाह सहारा न दे तो बात है और
एक रंगीनी ज़ाहिर है गुलिस्ताँ में अगर
कमी न की तिरे वहशी ने ख़ाक उड़ाने में
सुनते हैं इश्क़ नाम के गुज़रे हैं इक बुज़ुर्ग
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
'फ़िराक़' इक नई सूरत निकल तो सकती है
किसी की बज़्म-ए-तरब में हयात बटती थी
सितारों से उलझता जा रहा हूँ