खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Javed Akhtar
Anwar Masood
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Wasi Shah
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1202) Peoples Rate This
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
सर-ज़मीन-ए-हिंद पर अक़्वाम-ए-आलम के 'फ़िराक़'
मुखड़ा देखें तो माह-पारे छुप जाएँ
तिरी निगाह से बचने में उम्र गुज़री है
वो चेहरा सुता हुआ वो हुस्न-ए-बीमार
यूँ इश्क़ की आँच खा के रंग और खिले
मैं हूँ दिल है तन्हाई है
किस दर्जा सुकूँ-नुमा हैं अबरू के हिलाल
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं
नर्म फ़ज़ा की करवटें दिल को दुखा के रह गईं
गेसू बिखरे हुए घटाएँ बे-ख़ुद
खुलता ही नहीं हुस्न है पिन्हाँ कि अयाँ