ख़ुद मुझ को भी ता-देर ख़बर हो नहीं पाई
आज आई तिरी याद इस आहिस्ता-रवी से
Jaun Eliya
Anwar Masood
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Gulzar
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Rahat Indori
Ahmad Faraz
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तूर था का'बा था दिल था जल्वा-ज़ार-ए-यार था
जब रात गए सुहाग करती है निगाह
अफ़्लाक पे जब परचम-ए-शब लहराया
तुम इसे शिकवा समझ कर किस लिए शरमा गए
कुछ क़फ़स की तीलियों से छन रहा है नूर सा
तेज़ एहसास-ए-ख़ुदी दरकार है
अफ़्सुर्दा फ़ज़ा पे जैसे छाया हो हिरास
आज़ादी
जिस में हो याद भी तिरी शामिल
आई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ
चढ़ती हुई नद्दी है कि लहराती है
अमृत वो हलाहल को बना देती है