खुलता ही नहीं हुस्न है पिन्हाँ कि अयाँ
देखे तुझे कैसे कोई ऐ जान-ए-जहाँ
बंध जाता है इक जल्वा ओ पर्दा का तिलिस्म
ये ग़ैब ओ शुहूद आँख-मिचोली का समाँ
Wasi Shah
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Gulzar
Jaun Eliya
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(666) Peoples Rate This
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं
मज़हब की ख़राबी है न अख़्लाक़ की पस्ती
फूलों की सुहाग सेज ये जोबन रस
हिज्र-ओ-विसाल-ए-यार का पर्दा उठा दिया
वो पेंग है रूप में कि बिजली लहराए
कह दिया तू ने जो मा'सूम तो हम हैं मा'सूम
रोने को तो ज़िंदगी पड़ी है
माँ और बहन भी और चहेती बेटी
ऐ मअनी-ए-काइनात मुझ में आ जा
कोई पैग़ाम-ए-मोहब्बत लब-ए-एजाज़ तो दे