Hope Poetry of Ghulam Murtaza Rahi

Hope Poetry of Ghulam Murtaza Rahi
नामग़ुलाम मुर्तज़ा राही
अंग्रेज़ी नामGhulam Murtaza Rahi
जन्म की तारीख1937

ये लोग किस की तरफ़ देखते हैं हसरत से

कुछ ऐसे देखता है वो मुझे कि लगता है

दिल ने तमन्ना की थी जिस की बरसों तक

अपनी तस्वीर के इक रुख़ को निहाँ रखता है

उबल पड़ा यक-ब-यक समुंदर तो मैं ने देखा

ठहर ठहर के मिरा इंतिज़ार करता चल

मिली राह वो कि फ़रार का न पता चला

मिरी गिरफ़्त में है ताएर-ए-ख़याल मिरा

मेरे लब तक जो न आई वो दुआ कैसी थी

मौजूदगी का उस की असर होने लगा है

कहने सुनने का अजब दोनों तरफ़ जोश रहा

बढ़ा जब उस की तवज्जोह का सिलसिला कुछ और

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही Hope Poetry in Hindi - Read famous Hope Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by ग़ुलाम मुर्तज़ा राही. Largest collection of Hope Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by ग़ुलाम मुर्तज़ा राही. Share the ग़ुलाम मुर्तज़ा राही Hope Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.