Hope Poetry of Ghulam Murtaza Rahi
नाम | ग़ुलाम मुर्तज़ा राही |
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अंग्रेज़ी नाम | Ghulam Murtaza Rahi |
जन्म की तारीख | 1937 |
कविताएं
Ghazal 31
Couplets 47
Love 14
Sad 21
Heart Broken 29
Hope 12
Friendship 3
Islamic 1
Sufi 2
ख्वाब 8
ये लोग किस की तरफ़ देखते हैं हसरत से
कुछ ऐसे देखता है वो मुझे कि लगता है
दिल ने तमन्ना की थी जिस की बरसों तक
अपनी तस्वीर के इक रुख़ को निहाँ रखता है
उबल पड़ा यक-ब-यक समुंदर तो मैं ने देखा
ठहर ठहर के मिरा इंतिज़ार करता चल
मिली राह वो कि फ़रार का न पता चला
मिरी गिरफ़्त में है ताएर-ए-ख़याल मिरा
मेरे लब तक जो न आई वो दुआ कैसी थी
मौजूदगी का उस की असर होने लगा है
कहने सुनने का अजब दोनों तरफ़ जोश रहा
बढ़ा जब उस की तवज्जोह का सिलसिला कुछ और