ये भी इक धोका था नैरंग-ए-तिलिस्म-ए-अक़्ल का
अपनी हस्ती पर भी हस्ती का हुआ धोका मुझे
Wasi Shah
Allama Iqbal
Habib Jalib
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(912) Peoples Rate This
कोई दवा न दे सके मशवरा-ए-दुआ दिया
तीर चिल्ले पे न आना कि ख़ता हो जाना
यरान-ए-बे-बिसात कि हर बाज़ी-ए-हयात
दिल को ख़ुदा की याद तले भी दबा चुका
क़ाएम किया है मैं ने अदम के वजूद को
अब तो कुछ और भी अंधेरा है
दिल अभी तक जवान है प्यारे
मदफ़न-ए-ग़रीबाँ है आओ फ़ातिहा पढ़ लें
सोने वालो जागो
चले थे हम कि सैर-ए-गुलशन-ए-ईजाद करते हैं
फ़ुर्सत की तमन्ना में
एक लड़की शादाँ