अभी से होश उड़े मस्लहत-पसंदों के
अभी मैं बज़्म में आया अभी बोला कहाँ बोला
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Anwar Masood
Parveen Shakir
Habib Jalib
Wasi Shah
Gulzar
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2520) Peoples Rate This
हाए वो नग़्मा जिस का मुग़न्नी
बे-सहारों का इंतिज़ाम करो
कौन कहता है कि महरूमी का शिकवा न करो
बाद-ए-सबा ये ज़ुल्म ख़ुदा-रा न कीजियो
दार-ओ-रसन ने किस को चुना देखते चलें
क्या जाने क्या सबब है कि जी चाहता है आज
गुदाज़-ए-दिल से मिला सोज़िश-ए-जिगर से मिला
वो वक़्त का जहाज़ था करता लिहाज़ क्या
पी कर चैन अगर आया भी कितनी देर को आएगा
बज़्म-ए-तकल्लुफ़ात सजाने में रह गया
बद-तर है मौत से भी ग़ुलामी की ज़िंदगी