हैदर अली आतिश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हैदर अली आतिश (page 6)
नाम | हैदर अली आतिश |
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अंग्रेज़ी नाम | Haidar Ali Aatish |
जन्म की तारीख | 1778 |
मौत की तिथि | 1847 |
जन्म स्थान | Lucknow |
हुस्न-ए-परी इक जल्वा-ए-मस्ताना है उस का
हुस्न किस रोज़ हम से साफ़ हुआ
हुबाब-आसा में दम भरता हूँ तेरी आश्नाई का
हवा-ए-दौर-ए-मय-ए-ख़ुश-गवार राह में है
हसरत-ए-जल्वा-ए-दीदार लिए फिरती है
हंगाम-ए-नज़'अ महव हूँ तेरे ख़याल का
है जब से दस्त-ए-यार में साग़र शराब का
ग़म नहीं गो ऐ फ़लक रुत्बा है मुझ को ख़ार का
ग़ैरत-ए-महर रश्क-ए-माह हो तुम
फ़र्त-ए-शौक़ उस बुत के कूचे में लगा ले जाएगा
फ़रेब-ए-हुस्न से गब्र-ओ-मुसलमाँ का चलन बिगड़ा
दीवानगी ने क्या क्या आलम दिखा दिए हैं
दिल-लगी अपनी तिरे ज़िक्र से किस रात न थी
दिल शहीद-ए-रह-ए-दामान न हुआ था सो हुआ
दिल की कुदूरतें अगर इंसाँ से दूर हों
दिल बहुत तंग रहा करता है
दौलत-ए-हुस्न की भी है क्या लूट
दहन पर हैं उन के गुमाँ कैसे कैसे
चमन में शब को जो वो शोख़ बे-नक़ाब आया
चमन में रहने दे कौन आशियाँ नहीं मा'लूम
बुलबुल को ख़ार ख़ार-ए-दबिस्ताँ है इन दिनों
बुलबुल गुलों से देख के तुझ को बिगड़ गया
बाज़ार-ए-दहर में तिरी मंज़िल कहाँ न थी
बर्क़ को उस पर अबस गिरने की हैं तय्यारियाँ
बरगश्ता-तालई का तमाशा दिखाऊँ मैं
बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल हुआ
ऐसी वहशत नहीं दिल को कि सँभल जाऊँगा
ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है
ऐ जुनूँ होते हैं सहरा पर उतारे शहर से
आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का