मुझ को देखो मिरे मरने की तमन्ना देखो
फिर भी है तुम को मसीहाई का दा'वा देखो
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हम जौर-परस्तों पे गुमाँ तर्क-ए-वफ़ा का
आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न
छुप नहीं सकती छुपाने से मोहब्बत की नज़र
कोशिशें हम ने कीं हज़ार मगर
घटेगा तेरे कूचे में वक़ार आहिस्ता आहिस्ता
उन को रुस्वा मुझे ख़राब न कर
आसान-ए-हक़ीकी है न कुछ सहल-ए-मजाज़ी
तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए
दर्द-ए-दिल की उन्हें ख़बर न हुई
जो और कुछ हो तिरी दीद के सिवा मंज़ूर
पुर्सिश-ए-हाल पे है ख़ातिर-ए-जानाँ माइल
मुझ से तन्हाई में गर मिलिए तो दीजे गालियाँ