करते हैं शौक़-ए-दीद में बातें हवा से हम
जाते हैं कू-ए-यार में पहले सबा से हम
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Rahat Indori
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
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पोशाक-ए-सियह में रुख़-ए-जानाँ नज़र आया
चैन पहलू में उसे सुब्ह नहीं शाम नहीं
काफ़िर-ए-इश्क़ हूँ मुश्ताक़-ए-शहादत भी हूँ
वहदहू-ला-शरीक की है क़सम
साथ में अग़्यार के मैं भी सफ़-ए-मक़्तल में हूँ
ख़ूब-रूई पे है क्या नाज़ बुतान-ए-लंदन
बुतों का ज़िक्र करो वाइज़ ख़ुदा को किस ने देखा है
साक़ी है न मय है न दफ़-ओ-चंग है होली
जो मेहंदी का बुटना मला कीजिएगा
आलम-ए-हैरत का देखो ये तमाशा एक और
दोनों उसी के बंदे हैं यकता है वो करीम
ऐन-ए-का'बा में है मस्तों की जगह