Islamic Poetry (page 36)
अब वो ये कह रहे हैं मिरी मान जाइए
दाग़ देहलवी
आरज़ू है वफ़ा करे कोई
दाग़ देहलवी
दिन तो शिकम की आग बुझाने में जाए है
दाएम ग़व्वासी
चेहरे पे नूर-ए-सुब्ह सियह गेसुओं में रात
दाएम ग़व्वासी
बाब-ए-रहमत पे दुआ गिर्या-कुनाँ हो जैसे
दाएम ग़व्वासी
किसी ने बा-वफ़ा समझा किसी ने बेवफ़ा समझा
डी. राज कँवल
बी.टी-नामा
कर्नल मोहम्मद ख़ान
हर अदा मश्कूक तेरी मुश्तबा हर बात है
चूँचाल सियालकोटी
ये हादसा मिरी आँखों से गर नहीं होता
चित्रांश खरे
काएनात-ए-आरज़ू में हम बसर करने लगे
चित्रांश खरे
जब से तेरा करम है बंदा-नवाज़
चराग़ हसन हसरत
क़रार खो के चले बे-क़रार हो के चले
चरख़ चिन्योटी
क़रार खो के चले बे-क़रार हो के चले
चरख़ चिन्योटी
एक मरकज़ पे सिमट आई है सारी दुनिया
चरण सिंह बशर
वो क्या जवाब दे अर्ज़-ए-सवाल से पहले
चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी
हमें बर्बादियों पे मुस्कुराना ख़ूब आता है
चाँदनी पांडे
जहाँ रंग-ओ-बू है और मैं हूँ
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
ख़ुदा ने इल्म बख़्शा है अदब अहबाब करते हैं
चकबस्त ब्रिज नारायण
गुनह-गारों में शामिल हैं गुनाहों से नहीं वाक़िफ़
चकबस्त ब्रिज नारायण
अज़ीज़ान-ए-वतन को ग़ुंचा ओ बर्ग ओ समर जाना
चकबस्त ब्रिज नारायण
रामायण का एक सीन
चकबस्त ब्रिज नारायण
मर्सिया गोपाल कृष्ण गोखले
चकबस्त ब्रिज नारायण
ख़ाक-ए-हिंद
चकबस्त ब्रिज नारायण
उन्हें ये फ़िक्र है हर दम नई तर्ज़-ए-जफ़ा क्या है
चकबस्त ब्रिज नारायण
नए झगड़े निराली काविशें ईजाद करते हैं
चकबस्त ब्रिज नारायण
न कोई दोस्त दुश्मन हो शरीक-ए-दर्द-ओ-ग़म मेरा
चकबस्त ब्रिज नारायण
फ़ना का होश आना ज़िंदगी का दर्द-ए-सर जाना
चकबस्त ब्रिज नारायण
अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता
चकबस्त ब्रिज नारायण
मेरे ख़ामोश ख़ुदा
बुशरा एजाज़
संग को छोड़ के तू ने कभी सोचा ही नहीं
बबल्स होरा सबा