Sad Poetry (page 184)
ये रात
बाक़र मेहदी
उस ने कहा!
बाक़र मेहदी
टूटे शीशे की आख़िरी नज़्म
बाक़र मेहदी
सज़ा
बाक़र मेहदी
रेत और दर्द
बाक़र मेहदी
निरवान
बाक़र मेहदी
नई जुस्तुजू का अलमिया
बाक़र मेहदी
मेरा जनम दिन
बाक़र मेहदी
लहरों का आतिश-फ़िशाँ
बाक़र मेहदी
ख़ामुशी
बाक़र मेहदी
जहन्नम
बाक़र मेहदी
गोडो
बाक़र मेहदी
दीमक
बाक़र मेहदी
धरती का बोझ
बाक़र मेहदी
बहुत है एक नज़र
बाक़र मेहदी
अलविदा'अ
बाक़र मेहदी
ज़र्रे का राज़ मेहर को समझाना चाहिए
बाक़र मेहदी
वो रिंद क्या कि जो पीते हैं बे-ख़ुदी के लिए
बाक़र मेहदी
तबाह हो के भी इक अपनी आन बाक़ी है
बाक़र मेहदी
मैं भाग के जाऊँगा कहाँ अपने वतन से
बाक़र मेहदी
महफ़िलों में जा के घबराया किए
बाक़र मेहदी
लरज़ लरज़ के न टूटें तो वो सितारे क्या
बाक़र मेहदी
क्या क्या नहीं किया मगर उन पर असर नहीं
बाक़र मेहदी
क्या ख़बर थी कि कभी बे-सर-ओ-सामाँ होंगे
बाक़र मेहदी
किसी पे कोई भरोसा करे तो कैसे करे
बाक़र मेहदी
ख़बर सुनेगा मिरी मौत की तो ख़ुश होगा
बाक़र मेहदी
कौन भला ये कहता है ख़ुद आ के हम को मनाएँ आप
बाक़र मेहदी
जो ज़माने का हम-ज़बाँ न रहा
बाक़र मेहदी
इश्क़ की सारी बातें ऐ दिल पागल-पन की बातें हैं
बाक़र मेहदी
इस दर्जा हुआ ख़ुश कि डरा दिल से बहुत मैं
बाक़र मेहदी