Sad Poetry (page 182)
हर याद हर ख़याल है लफ़्ज़ों का सिलसिला
बाक़ी सिद्दीक़ी
हाए वो बातें जो कह सकते नहीं
बाक़ी सिद्दीक़ी
'बाक़ी' जो चुप रहोगे तो उट्ठेंगी उँगलियाँ
बाक़ी सिद्दीक़ी
वो मक़ाम-ए-दिल-ओ-जाँ क्या होगा
बाक़ी सिद्दीक़ी
वो अंधेरा है जिधर जाते हैं हम
बाक़ी सिद्दीक़ी
वक़्त रस्ते में खड़ा है कि नहीं
बाक़ी सिद्दीक़ी
उन का या अपना तमाशा देखो
बाक़ी सिद्दीक़ी
तुम कब थे क़रीब इतने मैं कब दूर रहा हूँ
बाक़ी सिद्दीक़ी
तारे दर्द के झोंके बन कर आते हैं
बाक़ी सिद्दीक़ी
सुब्ह का भेद मिला क्या हम को
बाक़ी सिद्दीक़ी
रंग-ए-दिल रंग-ए-नज़र याद आया
बाक़ी सिद्दीक़ी
नद्दी के उस पार खड़ा इक पेड़ अकेला
बाक़ी सिद्दीक़ी
मरहले ज़ीस्त के आसान हुए
बाक़ी सिद्दीक़ी
क्या पता हम को मिला है अपना
बाक़ी सिद्दीक़ी
ख़बर कुछ ऐसी उड़ाई किसी ने गाँव में
बाक़ी सिद्दीक़ी
कहता है हर मकीं से मकाँ बोलते रहो
बाक़ी सिद्दीक़ी
जुनूँ की राख से मंज़िल में रंग क्या आए
बाक़ी सिद्दीक़ी
हम ज़र्रे हैं ख़ाक-ए-रहगुज़र के
बाक़ी सिद्दीक़ी
एतिबार-ए-नज़र करें कैसे
बाक़ी सिद्दीक़ी
दिल जिंस-ए-मोहब्बत का ख़रीदार नहीं है
बाक़ी सिद्दीक़ी
दाग़-ए-दिल हम को याद आने लगे
बाक़ी सिद्दीक़ी
अपनी धूप में भी कुछ जल
बाक़ी सिद्दीक़ी
आस्तीं में साँप इक पलता रहा
बाक़ी सिद्दीक़ी
सारी बस्ती में फ़क़त मेरा ही घर है बे-चराग़
बाक़ी अहमदपुरी
यूँ सितमगर नहीं होते जानाँ
बाक़ी अहमदपुरी
उड़े नहीं हैं उड़ाए हुए परिंदे हैं
बाक़ी अहमदपुरी
तू नहीं तो तेरा दर्द-ए-जाँ-फ़ज़ा मिल जाएगा
बाक़ी अहमदपुरी
तेरी तरह मलाल मुझे भी नहीं रहा
बाक़ी अहमदपुरी
सामने सब के न बोलेंगे हमारा क्या है
बाक़ी अहमदपुरी
रोज़-ए-वहशत है मिरे शहर में वीरानी की
बाक़ी अहमदपुरी