Sad Poetry (page 1)
हासिल किसी से नक़्द-ए-हिमायत न कर सका
ग़ुलाम हुसैन साजिद
दयार-ए-ख़्वाब को निकलूँगा सर उठा कर मैं
ग़ुलाम हुसैन साजिद
ऐसा नहीं कि मुँह में हमारे ज़बाँ नहीं
फ़र्रुख़ जाफ़री
क्यूँ मसाफ़त में न आए याद अपना घर मुझे
फ़ौक़ लुधियानवी
इश्क़ उस से किया है तो ये गर याद भी रक्खो
फ़ीरोज़ाबी नातिक़ ख़ुसरो
जो पहले ज़रा सी नवाज़िश करे है
फ़ारूक़ रहमान
नहीं कि ज़िंदा है बस एक मेरी ज़ात में इश्क़
एज़ाज़ काज़मी
तिरे बग़ैर लग रहा है ये सफ़र ख़मोश है
एज़ाज़ काज़मी
विसाल
बलराज कोमल
हिज्र
अज़ीमुद्दीन अहमद
इक्कीसवीं सदी का इश्क़
मर्यम तस्लीम कियानी
मिरी याद तुम को भी आती तो होगी
क़लील झांसवी
हम को आगही न दो
मर्यम तस्लीम कियानी
दूसरा जन्म
बलराज कोमल
बच्चों का जुलूस
बलराज कोमल
दस्तूर साज़ी की कोशिश
रज़ा नक़वी वाही
अना
अज़ीज़ क़ैसी
पतझड़ का मौसम था लेकिन शाख़ पे तन्हा फूल खिला था
बिमल कृष्ण अश्क
सहमा है आसमान ज़मीं भी उदास है
दाऊद मोहसिन
मैं लौह-ए-अर्ज़ पर नाज़िल हुआ सहीफ़ा हूँ
अली अकबर अब्बास
बजाए कोई शहनाई मुझे अच्छा नहीं लगता
आमिर अमीर
न सारे ऐब हैं ऐब और हुनर हुनर भी नहीं
फ़रहत अली ख़ान
ज़ुहर-ए-आशिक़ी से डरता हूँ
दाऊद मोहसिन
ये हसरतें भी मिरी साइयाँ निकाली जाएँ
एहतिमाम सादिक़
तिरी शबीह को लिक्खा है रंग-ओ-बू मैं ने
एहतिमाम सादिक़
देखते ही धड़कनें सारी परेशाँ हो गईं
एहतिमाम सादिक़
नफ़रतों की नई दीवार उठाते हुए लोग
एहतिमाम सादिक़
याद रह जाने की कोशिश
मुबश्शिर अली ज़ैदी
सियानी
मुबश्शिर अली ज़ैदी
शम्अ'
मुबश्शिर अली ज़ैदी