Sharab Poetry (page 28)
पर्दा-दार हस्ती थी ज़ात के समुंदर में
दत्तात्रिया कैफ़ी
इश्क़ ही इश्क़ हो आशिक़ हो न माशूक़ जहाँ
दत्तात्रिया कैफ़ी
ख़ुश-फमी-ए-हुनर ने सँभलने नहीं दिया
दरवेश भारती
एक और शराबी शाम
दर्शिका वसानी
ये किस ने कह दिया आख़िर कि छुप-छुपा के पियो
दर्शन सिंह
वो सलीक़ा हमें जीने का सिखा दे साक़ी
दर्शन सिंह
रक़्स करती है फ़ज़ा वज्द में जाम आया है
दर्शन सिंह
निगाह-ए-मस्त-ए-साक़ी का सलाम आया तो क्या होगा
दर्शन सिंह
कहीं जमाल-ए-अज़ल हम को रूनुमा न मिला
दर्शन सिंह
इश्क़ शबनम नहीं शरारा है
दर्शन सिंह
हँसी गुलों में सितारों में रौशनी न मिली
दर्शन सिंह
दौलत मिली जहान की नाम-ओ-निशाँ मिले
दर्शन सिंह
चश्म-ए-बीना हो तो क़ैद-ए-हरम-ओ-तूर नहीं
दर्शन सिंह
बहुत मुश्किल है तर्क-ए-आरज़ू रब्त-आश्ना हो कर
दर्शन सिंह
आज दिल से दुआ करे कोई
दर्शन सिंह
साक़ी मिरे भी दिल की तरफ़ टुक निगाह कर
ख़्वाजा मीर 'दर्द'
सल्तनत पर नहीं है कुछ मौक़ूफ़
ख़्वाजा मीर 'दर्द'
क़त्ल-ए-आशिक़ किसी माशूक़ से कुछ दूर न था
ख़्वाजा मीर 'दर्द'
साक़ी मुझे शबाब का रसिया कहे सो हूँ
दानिश नज़ीर दानी
सितम के बा'द भी बाक़ी करम की आस तो है
दानिश फ़राही
शीशे से ज़ियादा नाज़ुक था ये शीशा-ए-दिल जो टूट गया
दानिश फ़राही
वाइज़ तू अगर उन के कूचे से गुज़र जाए
दानिश अलीगढ़ी
वाइज़ बड़ा मज़ा हो अगर यूँ अज़ाब हो
दाग़ देहलवी
रूह किस मस्त की प्यासी गई मय-ख़ाने से
दाग़ देहलवी
पूछिए मय-कशों से लुत्फ़-ए-शराब
दाग़ देहलवी
लुत्फ़-ए-मय तुझ से क्या कहूँ ज़ाहिद
दाग़ देहलवी
की तर्क-ए-मय तो माइल-ए-पिंदार हो गया
दाग़ देहलवी
ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं
दाग़ देहलवी
उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं
दाग़ देहलवी
उन के इक जाँ-निसार हम भी हैं
दाग़ देहलवी