Sharab Poetry (page 59)
फ़क़ीर किस दर्जा शादमाँ थे हुज़ूर को कुछ तो याद होगा
अब्दुल हमीद अदम
दुआएँ दे के जो दुश्नाम लेते रहते हैं
अब्दुल हमीद अदम
दिल को दिल से काम रहेगा
अब्दुल हमीद अदम
दिल है बड़ी ख़ुशी से इसे पाएमाल कर
अब्दुल हमीद अदम
दिल डूब न जाएँ प्यासों के तकलीफ़ ज़रा फ़रमा देना
अब्दुल हमीद अदम
भूले से कभी ले जो कोई नाम हमारा
अब्दुल हमीद अदम
बस इस क़दर है ख़ुलासा मिरी कहानी का
अब्दुल हमीद अदम
बहुत से लोगों को ग़म ने जिला के मार दिया
अब्दुल हमीद अदम
अरे मय-गुसारो सवेरे सवेरे
अब्दुल हमीद अदम
आँखों से तिरी ज़ुल्फ़ का साया नहीं जाता
अब्दुल हमीद अदम
आज फिर रूह में इक बर्क़ सी लहराती है
अब्दुल हमीद अदम
इस से पहले कि हमें अहल-ए-जफ़ा रुस्वा करें
अब्दुल हमीद साक़ी
बहार बन के ख़िज़ाँ को न यूँ दिलासा दे
अब्दुल हफ़ीज़ नईमी
पीरी में शौक़ हौसला-फ़रसा नहीं रहा
अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़
फूली है शफ़क़ गो कि अभी शाम नहीं है
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
क्या कहीं मिलता है क्या ख़्वाबों में
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-दिलबरी सिमट आ निगाह-ए-मजाज़ में
अब्दुल अलीम आसि
अपनी हस्ती से था ख़ुद मैं बद-गुमाँ कल रात को
अब्दुल अलीम आसि
क़ौस-ए-क़ुज़ह
अब्दुल अहद साज़
ज़िक्र हम से बे-तलब का क्या तलबगारी के दिन
अब्दुल अहद साज़
बद-सोहबतों को छोड़ शरीफ़ों के साथ घूम
अब्दुल अहद साज़
मैं उस से दूर रहा उस की दस्तरस में रहा
अब्बास रिज़वी
फिर वही अंदोह-ए-जाँ है और मैं
अब्बास कैफ़ी
वही दर्द है वही बेबसी तिरे गाँव में मिरे शहर में
अब्बास दाना
उस की वफ़ा न मेरी वफ़ा का सवाल था
अब्बास दाना
अपने ही ख़ून से इस तरह अदावत मत कर
अब्बास दाना
थी याद किस दयार की जो आ के यूँ रुला गई
आज़िम कोहली
सुबू उठा मिरे साक़ी कि रात जाती है
आज़िम कोहली
ये मय-ख़ाना है मय-ख़ाना तक़द्दुस उस का लाज़िम है
अातिश बहावलपुरी
तुम्हें ज़ेबा नहीं हरगिज़ सिले की आरज़ू रखना
अातिश बहावलपुरी