Sharab Poetry (page 58)
कभी तो दैर-ओ-हरम से तू आएगा वापस
अब्दुल हमीद अदम
जेब ख़ाली है 'अदम' मय क़र्ज़ पर मिलती नहीं
अब्दुल हमीद अदम
इजाज़त हो तो मैं तस्दीक़ कर लूँ तेरी ज़ुल्फ़ों से
अब्दुल हमीद अदम
आँखों से पिलाते रहो साग़र में न डालो
अब्दुल हमीद अदम
ज़ुल्फ़-ए-बरहम सँभाल कर चलिए
अब्दुल हमीद अदम
वो सूरज इतना नज़दीक आ रहा है
अब्दुल हमीद अदम
वो बातें तिरी वो फ़साने तिरे
अब्दुल हमीद अदम
वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम
अब्दुल हमीद अदम
उन को अहद-ए-शबाब में देखा
अब्दुल हमीद अदम
तौबा का तकल्लुफ़ कौन करे हालात की निय्यत ठीक नहीं
अब्दुल हमीद अदम
तही सा जाम तो था गिर के बह गया होगा
अब्दुल हमीद अदम
सो के जब वो निगार उठता है
अब्दुल हमीद अदम
शब की बेदारियाँ नहीं अच्छी
अब्दुल हमीद अदम
साक़ी शराब ला कि तबीअ'त उदास है
अब्दुल हमीद अदम
रक़्स करता हूँ जाम पीता हूँ
अब्दुल हमीद अदम
मुस्कुरा कर ख़िताब करते हो
अब्दुल हमीद अदम
मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है
अब्दुल हमीद अदम
मिरा इख़्लास भी इक वज्ह-ए-दिल-आज़ारी है
अब्दुल हमीद अदम
मतलब मुआ'मलात का कुछ पा गया हूँ मैं
अब्दुल हमीद अदम
मय-ख़ाना-ए-हस्ती में अक्सर हम अपना ठिकाना भूल गए
अब्दुल हमीद अदम
मय-कदा था चाँदनी थी मैं न था
अब्दुल हमीद अदम
लहरा के झूम झूम के ला मुस्कुरा के ला
अब्दुल हमीद अदम
ख़ुश हूँ कि ज़िंदगी ने कोई काम कर दिया
अब्दुल हमीद अदम
ख़ाली है अभी जाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
अब्दुल हमीद अदम
जिस वक़्त भी मौज़ूँ सी कोई बात हुई है
अब्दुल हमीद अदम
हर परी-वश को ख़ुदा तस्लीम कर लेता हूँ मैं
अब्दुल हमीद अदम
हँस हँस के जाम जाम को छलका के पी गया
अब्दुल हमीद अदम
हल्का हल्का सुरूर है साक़ी
अब्दुल हमीद अदम
गिरते हैं लोग गर्मी-ए-बाज़ार देख कर
अब्दुल हमीद अदम
ग़म-ए-मोहब्बत सता रहा है ग़म-ए-ज़माना मसल रहा है
अब्दुल हमीद अदम