फिर देखिए अंदाज़-ए-गुल-अफ़्शानी-ए-गुफ़्तार
रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा मेरे आगे
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जिस ज़ख़्म की हो सकती हो तदबीर रफ़ू की
बार-हा देखी हैं उन की रंजिशें
अर्ज़-ए-नाज़-ए-शोख़ी-ए-दंदाँ बराए-ख़ंदा है
दश्ना-ए-ग़म्ज़ा जाँ-सिताँ नावक-ए-नाज़ बे-पनाह
न बंधे तिश्नगी-ए-ज़ौक़ के मज़मूँ 'ग़ालिब'
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
न पूछ नुस्ख़ा-ए-मरहम जराहत-ए-दिल का
गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग
हूँ गिरफ़्तार-ए-उल्फ़त-ए-सय्याद
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर