मानें जो मेरी बात मुरीदान-ए-बे-रिया
दें शैख़ को कफ़न तो डुबो कर शराब में
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Anwar Masood
Wasi Shah
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(565) Peoples Rate This
शुक्र उस ने किया लब पे मगर नाम न आया
तुम्हें समझाएँ तो क्या हम कि शैख़-ए-वक़्त हो माइल
आप क्या एक सितमगार बने बैठे हैं
तुम ख़ूब उड़ाते रहो ख़ाका मिरे दिल का
वाइज़ पिए हुए हूँ ख़ुदा के लिए न छेड़
ऐसी क्या थीं इताब की बातें
इश्क़ भी क्या चीज़ है सहल भी दुश्वार है
माइल को जानते भी हो हज़रत हैं एक रिंद
न काबा ही तजल्ली-गाह ठहराया न बुत-ख़ाना
तल्ख़ी तुम्हारे वाज़ में है वाइज़ो मगर
मिलें किसी से तो बद-नाम हों ज़माने में