किसी का एक है दुश्मन तो दोस्त-दार है एक

किसी का एक है दुश्मन तो दोस्त-दार है एक

हमारा हिज्र अदू एक वस्ल यार है एक

जहाँ में शादी ओ ग़म से नहीं है दूर कोई

ख़िज़ाँ अदू है मिरा एक और बहार है एक

ख़ुशी नसीब नहीं हम को ता-ब-हश्र कोई

हज़ार रंज हैं एक और ये दिल-फ़िगार है एक

बिसान-ए-मर्ग-ओ-हयात अहल-ए-दिल को आलम में

हमेशा एक है दिल जिस पे ग़म सवार है एक

मिला है हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद जिन को आलम में

फ़िदा जो एक है उन पर तो जाँ-निसार है एक

रह-ए-वफ़ा में ये है हाल आशिक़ों का मुदाम

ख़राब एक है शोरीदा-सर तो ख़ार है एक

मिलोगे हम से जो 'मिस्कीं' दुई को दूर करो

शुमार एक है गर दम है दो पे तार है एक

(570) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kisi Ka Ek Hai Dushman To Dost-dar Hai Ek In Hindi By Famous Poet Miskeen Shah. Kisi Ka Ek Hai Dushman To Dost-dar Hai Ek is written by Miskeen Shah. Complete Poem Kisi Ka Ek Hai Dushman To Dost-dar Hai Ek in Hindi by Miskeen Shah. Download free Kisi Ka Ek Hai Dushman To Dost-dar Hai Ek Poem for Youth in PDF. Kisi Ka Ek Hai Dushman To Dost-dar Hai Ek is a Poem on Inspiration for young students. Share Kisi Ka Ek Hai Dushman To Dost-dar Hai Ek with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.