जूँ जूँ नहीं देखे है 'निसार' अपने सनम को
तूँ तूँ यही कहता है ख़ुदा जानिए क्या है
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देखे कहीं रस्ते में खड़ा मुझ को तो ज़िद से
चोरी चोरी आँख लड़ते में दिखा दूँ तो सही
अश्क हुए हैं अबतर ऐसे हम को बहाए देते हैं
कटती है कोई दम यहीं औक़ात मज़े की
कीना जो तिरे दिल में भरा है सो किधर जाए
ये जो हम से दो चार बैठे हैं
है जो सीना में जगह लहके है अँगारा सा
करो सामान झूले का कि अब बरसात आई है
क्या फ़ुसूँ तू ने ख़ुदा जाने ये हम पर मारा
मत मुँह से 'निसार' अपने को ऐ जान बुरा कह
किस जफ़ा-कार से हम अहद-ए-वफ़ा कर बैठे