कोई आता है या नहीं आता
आज ख़ुद को पुकार कर देखें
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ये मोजज़ा है कि मैं रात काट देता हूँ
एक हंगामा शब-ओ-रोज़ बपा रहता है
तू मुझे ज़हर पिलाती है ये तेरा शेवा
आँखों में शब उतर गई ख़्वाबों का सिलसिला रहा
वो जब भी पुकारेगा यहाँ आन रहेंगे
इश्क़ में लज़्ज़त-ए-आज़ार निकल आती है
ख़्वाब में तोड़ता रहता हूँ अना की ज़ंजीर
दिल ये कहता है हार कर देखें
मैं कोई दश्त मैं दीवार नहीं कर सकता
ऐ अक़्ल नहीं आएँगे बातों में तिरी हम