तुम मिरे पास होते हो गोया
जब कोई दूसरा नहीं होता
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क्यूँ ज़र्द है रंग किस लिए आँसू लाल
है दिल में ग़ुबार उस के घर अपना न करेंगे
ऐ आरज़ू-ए-क़त्ल ज़रा दिल को थामना
माशूक़ से भी हम ने निभाई बराबरी
उल्टे वो शिकवे करते हैं और किस अदा के साथ
ताब-ए-नज़्ज़ारा नहीं आइना क्या देखने दूँ
है शर्म-ए-गुनह से जाँ कैसी बे-ताब
वादे की जो साअत दम-ए-कुश्तन है हमारा
हो गए नाम-ए-बुताँ सुनते ही 'मोमिन' बे-क़रार
माँगा करेंगे अब से दुआ हिज्र-ए-यार की
महशर में पास क्यूँ दम-ए-फ़रियाद आ गया
उलझा है पाँव यार का ज़ुल्फ़-ए-दराज़ में