तुम मिरे पास होते हो गोया
जब कोई दूसरा नहीं होता
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जूँ निकहत-ए-गुल जुम्बिश है जी का निकल जाना
माँगा करेंगे अब से दुआ हिज्र-ए-यार की
इम्तिहाँ के लिए जफ़ा कब तक
राज़-ए-निहाँ ज़बान-ए-अग़्यार तक न पहुँचा
बे-ख़ुद थे ग़श थे महव थे दुनिया का ग़म न था
माशूक़ से भी हम ने निभाई बराबरी
नासेहा दिल में तो इतना तू समझ अपने कि हम
हम-रंग लाग़री से हूँ गुल की शमीम का
डरता हूँ आसमान से बिजली न गिर पड़े
क्यूँ ज़र्द है रंग किस लिए आँसू लाल
सौदा था बला-ए-जोश पर रात
है किस का इंतिज़ार कि ख़्वाब-ए-अदम से भी