डरता हूँ आसमान से बिजली न गिर पड़े
सय्याद की निगाह सू-ए-आशियाँ नहीं
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हो न बेताब अदा तुम्हारी आज
रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह
किसी का हुआ आज कल था किसी का
दफ़्न जब ख़ाक में हम सोख़्ता-सामाँ होंगे
जो तेरे मुँह से न हो शर्मसार आईना
असर उस को ज़रा नहीं होता
चल दिए सू-ए-हरम कू-ए-बुताँ से 'मोमिन'
ऐ आरज़ू-ए-क़त्ल ज़रा दिल को थामना
हँस हँस के वो मुझ से ही मिरे क़त्ल की बातें
दुश्नाम-ए-यार तब्-ए-हज़ीं पर गिराँ नहीं
इस वुसअत-ए-कलाम से जी तंग आ गया
ग़ैरों पे खुल न जाए कहीं राज़ देखना