दुश्नाम-ए-यार तब्-ए-हज़ीं पर गिराँ नहीं
ऐ हम-नशीं नज़ाकत-ए-आवाज़ देखना
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हम-रंग लाग़री से हूँ गुल की शमीम का
डरता हूँ आसमान से बिजली न गिर पड़े
हुई तासीर आह-ओ-ज़ारी की
क्यूँ ज़र्द है रंग किस लिए आँसू लाल
अफ़सोस शिकायत-ए-निहानी न गई
हो न बेताब अदा तुम्हारी आज
जलता हूँ हिज्र-ए-शाहिद ओ याद-ए-शराब में
न करो अब निबाह की बातें
दीदा-ए-हैराँ ने तमाशा किया
हो गया राज़-ए-इश्क़ बे-पर्दा
तुम भी रहने लगे ख़फ़ा साहब
ता न पड़े ख़लल कहीं आप के ख़्वाब-ए-नाज़ में