न करो अब निबाह की बातें
तुम को ऐ मेहरबान देख लिया
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Gulzar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Anwar Masood
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(953) Peoples Rate This
उस ग़ैरत-ए-नाहीद की हर तान है दीपक
शब जो मस्जिद में जा फँसे 'मोमिन'
क्यूँ ज़र्द है रंग किस लिए आँसू लाल
जूँ निकहत-ए-गुल जुम्बिश है जी का निकल जाना
नासेहा दिल में तो इतना तू समझ अपने कि हम
अफ़सोस शिकायत-ए-निहानी न गई
हाथ टूटें मैं ने गर छेड़ी हों ज़ुल्फ़ें आप की
सब्र वहशत-असर न हो जाए
हम समझते हैं आज़माने को
हाल-ए-दिल यार को लिखूँ क्यूँकर
'मोमिन' ख़ुदा के वास्ते ऐसा मकाँ न छोड़
ठानी थी दिल में अब न मिलेंगे किसी से हम