वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो
वही यानी वादा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो
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बहर-अयादत आए वो लेकिन क़ज़ा के साथ
क़हर है मौत है क़ज़ा है इश्क़
अब शोर है मिसाल-ए-जुदी इस ख़िराम को
हम-रंग लाग़री से हूँ गुल की शमीम का
दुश्नाम-ए-यार तब्-ए-हज़ीं पर गिराँ नहीं
मैं भी कुछ ख़ुश नहीं वफ़ा कर के
ठानी थी दिल में अब न मिलेंगे किसी से हम
इस वुसअत-ए-कलाम से जी तंग आ गया
है दिल में ग़ुबार उस के घर अपना न करेंगे
अगर ग़फ़लत से बाज़ आया जफ़ा की
क्यूँ ज़र्द है रंग किस लिए आँसू लाल