ख़बर इतनी तो है झोंके तिरे बाद-ए-ख़िज़ाँ पहुँचे
ख़ुदा मालूम तिनके आशियाने के कहाँ पहुँचे
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कहीं ऐसा न हो कम-बख़्त में जान आ जाए
घटा उट्ठी है काली और काली होती जाती है
बेवफ़ा उम्र दग़ाबाज़ जवानी निकली
मिलो मिलो न मिलो इख़्तियार है तुम को
कल तो देखा था 'मुबारक' बुत-कदे में आप को
मिरी ख़ाक भी उड़ेगी बा-अदब तिरी गली में
असर हो या न हो वाइज़ बयाँ में
तुम्हारी शर्त-ए-मोहब्बत कभी वफ़ा न हुई
दिल में आने के 'मुबारक' हैं हज़ारों रस्ते
तुम वक़्त पे कर जाते हो पैमान फ़रामोश
बिखरी हुई है यूँ मिरी वहशत की दास्ताँ
तिरी अदा की क़सम है तिरी अदा के सिवा