बज़्म-ए-नशात-ओ-ऐश का सामाँ लिए हुए

बज़्म-ए-नशात-ओ-ऐश का सामाँ लिए हुए

आई सबा बहार-ए-गुलिस्ताँ लिए हुए

उड़ता फिरा जुनून ये सामाँ लिए हुए

या'नी हमारे जेब-ओ-गरेबाँ लिए हुए

कब तक जियेगा दार-ए-फ़ना में बता तो दे

सर में ग़ुरूर-ए-आलम-ए-इम्काँ लिए हुए

मेरे जुनून-ए-इश्क़ की वुसअ'त न पूछिए

है ज़र्रा ज़र्रा ज़ोर-ए-बयाबाँ लिए हुए

जिस को उठा सके न पहाड़ और न आसमाँ

वो बार-ए-ग़म हैं हज़रत-ए-इंसाँ लिए हुए

मेरे लिए तो बहर-ए-अलम का ये हाल है

जो मौज उठी वो आई है तूफ़ाँ लिए हुए

इक मजमा-ए-बहार-ओ-ख़िज़ाँ है मिरा वजूद

फिरता हूँ साथ गर्दिश-ए-दौराँ लिए हुए

आसाँ हो क्यूँ न अहल-ए-तजस्सुस को राह-ए-शौक़

हैं अपने साथ ज़ौक़-ए-फ़रावाँ लिए हुए

फेरी लगा रहा हूँ ख़रीदार की है फ़िक्र

फिरता हूँ सर पे मैं ग़म-ए-दौराँ लिए हुए

बहर-ए-नियाज़-ए-नाज़ हम आए हैं ले के दिल

दिल में हुजूम-ए-हसरत-ओ-अरमाँ लिए हुए

'ख़ुशतर' मुझे है नाज़ कि अल्लाह के हुज़ूर

जाऊँगा दिल में दौलत-ए-ईमाँ लिए हुए

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In Hindi By Famous Poet Mumtaz Ahmad Khan Khushtar. is written by Mumtaz Ahmad Khan Khushtar. Complete Poem in Hindi by Mumtaz Ahmad Khan Khushtar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.