तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता
तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने
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मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता
सफ़ेद सच
बच्चों की फ़ीस उन की किताबें क़लम दवात
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
हम सब की जो दुआ थी उसे सुन लिया गया
ये बुत जो हम ने दोबारा बना के रक्खा है
दौलत से मोहब्बत तो नहीं थी मुझे लेकिन
चले मक़्तल की जानिब और छाती खोल दी हम ने
कुछ बिखरी हुई यादों के क़िस्से भी बहुत थे
काले कपड़े नहीं पहने हैं तो इतना कर ले
फिर से बदल के मिट्टी की सूरत करो मुझे