हम सब की जो दुआ थी उसे सुन लिया गया
फूलों की तरह आप को भी चुन लिया गया
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Habib Jalib
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दरिया-दिली से अब्र-ए-करम भी नहीं मिला
अना हवस की दुकानों में आ के बैठ गई
पत्थर के होंट
मिरे बच्चों में सारी आदतें मौजूद हैं मेरी
दौलत से मोहब्बत तो नहीं थी मुझे लेकिन
किसी दिन मेरी रुस्वाई का ये कारन न बन जाए
तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता
ख़ुद अपने ही हाथों का लिखा काट रहा हूँ
देखना है तुझे सहरा तो परेशाँ क्यूँ है
मेरे स्कूल
किसी की याद आती है तो ये भी याद आता है
गर कभी रोना ही पड़ जाए तो इतना रोना