उस की गर्दन
मेरी उँगलियों में दबी थी
ज़बान बाहर निकल आई थी
फिर वही हुआ
जो होना था
या'नी उस ने वही उगला
जो मैं चाहता था
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एहसास-ए-जुर्म
मिट्टी मौसम और रंग
लीडर
लहु में उतरता हुआ मौसम
तरदीद
क़लम
आईने के सामने
शाइ'र
न मेरा नाम मेरा है
मैं
इंतिज़ार के बा'द
मुझ से पूछो