उतरा था जिस पे बाब-ए-हया का वरक़ वरक़
बिस्तर के एक एक शिकन की शरीक थी
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Javed Akhtar
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Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Gulzar
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गिर्या तो अक्सर रहा पैहम रहा
माह-ओ-साल
''ज़बान-ए-ग़ैर से क्या शरह-ए-आरज़ू करते''
किसी और ग़म में इतनी ख़लिश-ए-निहाँ नहीं है
बुज़ुर्गो, नासेहो, फ़रमाँ-रवाओ
गुनाहगार
हार जीत
तिरी हँसी
दिल के रिश्ते अजीब रिश्ते हैं
जुदाई
मेरी आँखों में नींद चुभती है