अल्लाह अल्लाह ये लर्ज़िश-ए-मिज़्गाँ
झुटपुटे का है तुर्फ़ा राज़-ओ-नियाज़
रागनी में ढला हुआ गोया
रात को घूमते कुरे का गुदाज़
Wasi Shah
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Gulzar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Parveen Shakir
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रूह के इस वीराने में तेरी याद ही सब कुछ थी
पहला पत्थर
दूरी
रात सुनसान है
इस क़दर अब ग़म-ए-दौराँ की फ़रावानी है
इस तरह होश गँवाना भी कोई बात नहीं
किसी तो काम ज़माने के सोगवार आए
उस को किरनों ने दी है ताबानी
चारागरो
हुई ईजाद नई तर्ज़-ए-ख़ुशामद कि नहीं
दिल के रिश्ते अजीब रिश्ते हैं
रह-ओ-रस्म-ए-आश्नाई